Karo Ya Maro Ka Nara Kisne Diya

Karo Ya Maro Ka Nara Kisne Diya

अगर आप भी यह जानना चाहते की Karo Ya Maro Ka Nara Kisne Diya तो आप उससे पहले यह जाने की “करो या मरो” का नारा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी कि द्वारा 8 अगस्त 1942 को ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के समय दिया गया था। इस नारे का उद्देश्य भारत के देशवासियों को अंग्रेजो की हुकूमत के खिलाफ अंतिम लड़ाई के लिए प्रोत्साहित करना था। यह नारा आजादी की लड़ाई में काफ़ी अहम साबित हुआ।

इस नारे का संदेश बिलकुल स्पष्ट था जो की था कि या तो आज़ादी को हासिल करो या इसके लिए अपनी जान क़ुर्बान कर दो। इस नारे ने भारतीय जनसंख्या को जोश और साहस से भर दिया था। इससे लोग बिना किसी डर के स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति देने को भी तैयार हो गये थे।

करो या मरो का नारा किसने दिया जाने?

“करो या मरो” का नारा महात्मा गांधी जी के द्वारा दिया गया था। उन्होंने 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान यह नारा दिया था। यह नारा भारत के स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण नारा था। इस नारे से इंडिया के आम लोगों को एकजुट होकर संघर्ष करने के लिए प्रोत्साहित किया गया था।

Karo Ya Maro Ka Nara Kisne Diya

“करो या मरो” का नारा महात्मा गांधी ने 1942 में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान दिया था। इस नारे को महात्मा गांधी ने ब्रिटिश रूलर के खिलाफ एक अंतिम निर्णायक संघर्ष के लिए सभी को प्रेरित करने के उद्देश्य से दिया था। यह आंदोलन “भारत छोड़ो आंदोलन” के रूप में जाना जाता है और इसका लक्ष्य भारत से ब्रिटिश शासन को समाप्त करना था।

करो या मरो का नारा किसने दिया और किसके ख़िलाफ़?

“करो या मरो” का नारा महात्मा गांधी के द्वारा 8 अगस्त 1942 को अंग्रेज़ी हुकूमत के खिलाफ दिया था। यह नारा ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के समय दिया गया था। यह नारा ब्रिटिश साम्राज्य से भारत को पूर्ण स्वतंत्रता दिलाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। गांधी जी ने इस नारे के माध्यम से भारत के लोगों को यह संदेश दिया कि अब वक्त आ गया है जब हम सबको स्वतंत्रता पाने के लिए अपनी पूरी ताकत और साहस के साथ खड़े होना होगा। 

इस चीज का अर्थ यह था कि या तो हम अंग्रेज़ों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर देंगे या फिर इस आज़ादी के संघर्ष में अपनी जान न्यौछावर कर देंगे। यह नारा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक बड़ा मोड़ साबित हुआ। इस नारे की वजह से पूरे भारत देश में एक नई ऊर्जा और आत्मविश्वास का संचार हुआ। लाखों भारतीय लोग बिना किसी भय के इस आंदोलन में शामिल हुए और इसे सफल बनाने के लिए अपना सर्वस्व अर्पण करने के लिए तैयार हो गए।

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“करो या मरो” का नारा आज भी चर्चा में क्यों है?

“करो या मरो” का नारा आजादी के संघर्ष के दौरान दिया गया। यह ऐतिहासिक और प्रेरणादायक नारा है। आज नारा आज भी चर्चा में रहता है क्योंकि यह भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई का प्रतीक है। कुछ दिनों पहले ही यह नारा फिर से चर्चा में आया है क्योंकि इसे राष्ट्रीय और सामाजिक आंदोलनों में प्रेरणा के रूप में देखा जाता है। विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक समूह आज भी इस नारे का उपयोग समाज में बदलाव और सुधार लाने के लिए किया जाता हैं।

यह नारा खासकर तब चर्चा में आता है जब किसी महत्वपूर्ण राष्ट्रीय या सामाजिक मुद्दे पर संघर्ष और त्याग की आवश्यकता महसूस होती है। महात्मा गांधी द्वारा दिया गया यह नारा स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता की भावना को जीवित रखने के लिए आज के समय में काफ़ी महत्वपूर्ण है। यह नारा भारत के  देशवासियों को एकजुट करता है और उन्हें यह याद दिलाता है कि संघर्ष और बलिदान से ही लक्ष्य प्राप्त किया जा सकते हैं।

Karo Ya Maro Ka Nara की स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका 

Karo Ya Maro Ka Nara अंग्रेजों को चेतावनी देने के लिए इस्तेमाल किया  गया था। इससे यह बताया गया था कि भारत के लोग अब गुलामी स्वीकार नहीं करेंगे। यह नारा भारत देश के लोगों  को अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए प्रोत्साहित करने वाला था।

“करो या मरो” के नारे ने भारत देश के स्वतंत्रता संग्राम में एक बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस नारे ने भारत के सभी लोगों को एक किया और उन्हें अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए उत्तेजित किया। इस नारे के कारण भारत छोड़ो आंदोलन एक सफल आंदोलन बन पाया। अंत में भारत को स्वतंत्रता भी  प्राप्त हुई।“करो या मरो” का नारा आज भी एक प्रेरणादायक नारे के रूप में देखा जया है। 

यह नारा भारत के लोगों को बताता है कि अगर हम किसी लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते हैं तो उसके लिए हमें संघर्ष करने के लिए एक से तैयार रहना चाहिए। गांधी जी एक भारतीय वकील और राजनीतिक नैतिकतावादी थे। उन्होंने ब्रिटिश शासन से भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए सफल अभियान का नेतृत्व करने और बाद में दुनिया भर में नागरिक अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए आंदोलनों को प्रेरित करने के लिए अहिंसक प्रोटेस्ट का इस्तेमाल किया था।

उन्होंने भारत के मज़दूर और गरीबों के साथ पहचान के निशान के रूप में हाथ से बुने हुए धोती को स्वीकार किया और उसका इस्तेमाल किया। गांधी जी ने भारत की स्वतंत्रता के लिए एक सफल अभियान की शुरुवात करी और उसके बाद उन्होंने दुनिया भर में नागरिक अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए आंदोलनों को प्रेरित करने के लिए अहिंसक प्रतिरोध का इस्तेमाल किया|

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FAQs – Karo Ya Maro Ka Nara Kisne Diya Tha

Question – करो या मरो का नारा किसके द्वारा दिया गया है?

Answer – करो या मरो का नारा महात्मा गांधी के द्वारा दिया गया है।

Question – भारत छोड़ो आंदोलन में इस्तेमाल होने वाला प्रसिद्ध नारा क्या है?

Answer – भारत छोड़ो आंदोलन में इस्तेमाल होने वाला प्रसिद्ध नारा करो या मरो‘ का नारा है।

Question – गांधी को “राष्ट्रपिता” की उपाधि किसने दी थी?

Answer – गांधी को “राष्ट्रपिता” की उपाधि सुभाष चंद्र बोस ने दी थी।  

Question – महात्मा गांधी के बचपन का नाम क्या था?

Answer – मोहनदास करमचंद गांधी था। 

Question – मारते समय गांधी जी के मुँह से आख़िरी शब्द क्या निकले थे?

Answer – मारते समय गांधी जी के मुँह से आख़िरी शब्द हे राम हे राम” निकले थे।

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